एक फौजी की प्रेम कहानी (शायरी)

 एक फौजी होते है जो साप्ताहिक छुट्टी पर अपनी पत्नी को बुलाकर कही घूमने का प्लान बनाते है, पर अचानक ड्यूटी में बदलाव के कारण उन्हें अपना प्लान बदलना पड़ता है , तो अपने दोस्तो से अपना दर्द बयां करते हैं:–

सोचा था कि आज यहां से बाहर निकलुंगा।

सौराष्ट्र के बहाने उसे यहां बुलाऊंगा।

पर क्या करे किस्मत ही अपने साथ नही–02

पता नहीं कैसे अब मैं अपना वादा निभाऊंगा।

तो फौजी साहब अपने साथियों के सुझाव के बाद वो पत्नी को सारा बात बताते है,जो बेचारी आधे रास्ते तक वापस आ गई होती है, तब उनकी पत्नी कुछ इस तरीके से अपनी तकलीफ बताती है–

घर से निकली थी मैं कुछ इस तरह।

मिलूंगी अपने पतिदेव से कुछ उस तरह।

पर क्या करे उनकी नौकरी ही कुछ ऐसी है–02

पता नही था कि आधे रास्ते से लौट आऊंगी कुछ इस तरह।


लेखिका:– Khushboo Singh

सहयोग:– R.S. Sikarwar 


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